श्रीराम के पांच गुण,जिससे हर किसी को सीखना चाहिए।
वैसे तो रामायण ओर श्री राम सिखने लायक ,असंख्न्या चीज़ें है। लेकिन आज हम भगवान राम के कुछ चुनिंदा गुणों को पेश करेंगे जिन्हें हम अपने दैनिक जीवन में लाने का प्रयास कर सकते हैं।
रिश्तों का महत्व
- भगवान राम ने सिखाया , स्थिति की परवाह किए बिना एक संबंध को अच्छे से निभाना चाहिए ।
- वह एक आदर्श पुत्र होने की कसौटी पर खरे उतरे।
- उन्होने अपनी सौतेली माँ के निर्देशों का भी पालन किया।
- भगवान राम ने एक अच्छे भाई होने का दायित्व निभाया।
- भगवान् राम ने एक अच्छे मित्र होने का फ़र्ज़ निभाया।
- शत्रु से युद्ध करने के पहले भी उन्होने शांतिदूत भेजकर ,शत्रुता निभाई।
घमंड
- यह जानते हुए की वो एक चक्रवर्ती राजा के प्रथम सुपुत्र थे और उस काल में उनसे सर्वश्रेष्ठ कोई भी धनुर्धर और पराक्रमी नहीं था ,फिर भी उन्होने कभी भी घमंड नहीं किया।
- स्वयंबर में भी अनेक राजाओं के बीच वो चुपचाप बैठे थे ,उन्होने जल्दीबाज़ी दिखाई और न ही अपने पराक्रम का गुणगान किया। जब सभी लोगो ने प्रयास किया उसके बाद गुरु विश्वामित्र से आज्ञा लेकर ही उन्होने शिव धनुष को भंग किया।
मित्रता
एक बार जब उन्होंने किसी से दोस्ती कर ली, तो उन्होंने उनकी मदद करने के लिए हर संभव कोशिश की ,सुग्रीव और विभीषण की तरह। वह अपने दोस्तों को कभी नहीं भूले और उनके साथ हर पल हर मुसीबत में मौजूद रहे । इस से हम लोगो को एक अच्छे मित्र बनने की सिख मिलती है।
काम करने की निष्ठा
यदि श्री राम ने कोई कार्य किया, तो उन्होंने हमेशा उसे सफलतापूर्वक पूरा किया। उसने कभी भी आधे-अधूरे मन से कुछ नहीं किया, चाहे वह जंगल में राक्षसों का वध करना हो या सुग्रीव को बाली को मारने में मदद करना हो या वनवास में 14 वर्ष पूरा करना हो। दृढ़ संकल्प और प्रतिबद्धता आपको कभी विफल नहीं करेगी।
भेदभाव
भगवान राम ने एक गरीब बूढ़ी औरत शबरी जो की उनकी परम भक्त थी,उनके द्वारा उन्हें चढ़ाए गए जूठे फलों का स्वाद चखा। यह जानते हुए की वह फल जूठे हैं भगवान् श्री राम ने उसका स्वाद लिया।उस समय भगवान् राम के पास देने के लिए बहुत कुछ नहीं था - लेकिन जगत के पालनहार ने प्यार और स्नेह से उनका सम्मान किया । प्यार हमारे पास किसी भी रूप में आ सकता है।
तो ये थे श्रीराम के पांच गुण जिसको हमलोग अपने जीवन में हर रोज पालन कर सकते है।
वैसे तो श्री राम से सिखने योग्य असंख्य गुण है जैसे, पुत्र धर्म ,पत्नी धर्म ,भ्रातृ धर्म ,मानव धर्म ,हर चीज़ों को एक सामान देखना ,भेदभाव न करना ,जिव जंतु के साथ व्यवहार करना आदि।
आशा करते है आप सभी ,इन गुणों को अपने व्यवहार में लाएंगे।
जय श्री राम
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