दुर्गा सप्तशती संपूर्ण पाठ | Durga Saptshati Path in Hindi

दुर्गा सप्‍तशती का पाठ वैसे तो कई घरों में रोजाना किया जाता है। मगर नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करना विशेष और जल्दी फलदायक माना गया है। नवरात्र में दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करने से अन्‍न, धन, यश, कीर्ति की प्राप्ति होती है।  

दुर्गा सप्‍तशती पाठ विधि | Durga Saptashati Path in Hindi

पृथ्वी लोक में शक्ति के अभाव में देवता भी एक मृत शरीर के समान होते है। यही कारण है कि इस दुनिया की हर संस्कृति या सभ्यता में शक्ति की पूजा व आराधना किसी न किसी विधि से जरूर की जाती है। हमारे देश की संस्कृति में नारी को जन्मदात्री व जननी के रूप में पूजा गया है। जन्म  प्रदान करने वाली देवी के सामान पूज्य  होती है। वह अपने संतान समेत पूरे परिवार का ख्याल रखती है। और अगर उसकी संतान पर किसी तरह की कोई कठिनाई या विपत्ति आती है तब उसका रूप भयानक हो जाता है।इसीलिए हरे एक माता पूज्य होती है। 

 'मां' इस एक शब्द को बोलने मात्र से समस्त समस्याओं का समाधान होता है । माँ दुर्गा जो सारे संसार के दुखों का नाश करती है ,जिनको देवो के देव महादेव शिव का आशीर्वाद प्राप्त है और जो खुद महादेव का ही अंश है वो देवी शक्ति को नमस्कार है। 

आइये दुर्गा सप्तशती का अध्यन करते है। 

    1. दुर्गा सप्तशती | Durga Saptshati PDF

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    2.दुर्गा सप्तशती के फायदे | Durga Saptshati Path Benefits

    दुर्गा सप्तशती  पाठ का संपूर्ण लाभ लेने के लिए पहले आप माता रानी पर अपनी आस्था बनाये रखे। अर्गला स्तोत्र जैसे इसके इसके भी बहुत लाभ है. दुर्गा सप्तशती का १२वां अध्याय पहला श्रुति है, जो इस पवित्र पाठ को पढ़ने के लाभों के बारे में बताता है, जैसा कि देवी ने स्वयं देवताओं को बताया था।

    •इस दुर्गा सप्तशती कवच के पाठ के स्थान पर देवी की उपस्थिति का प्रकटीकरण होता है ।

    दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय में अलग अलग बाधाओं के निवारण के लिए उपाय दिए गए हैं। 

    •Durga Saptshati Path के पहले अध्याय का पाठ करने से समस्त प्रकार की चिताओं का नाश हो जाता है। 

    •दुर्गा सप्तशती के दूसरे अध्याय को करने से अदालती दिक्कतों में सफलता प्राप्त होती है।

    तीसरे अध्याय से शत्रु बाधा से छुटकारा मिलता है।

    चौथे अध्याया को पढ़ने से शक्ति मिलती है। 

    •दुर्गा सप्तशती  पाठ के पांचवे अध्याय का पाठ करने से आध्यात्म की शक्ति प्राप्त होती है।

    छठे अध्याय को करने से मन में बसे डर का नाश हो जाता है।

    सातवें अध्याय के पाठ से इच्छाओं की प्राप्ति होती है। 

    •जो व्यक्ति मिलाप और वशीकरण जैसे चीज़ें के बारें में जानना चाहते हैं उनके लिए दुर्गा सप्तशती लिए आठवें अध्याय का पाठ महत्वपूर्ण है।

    नौवे अध्याय का पाठ गुम हुए व्यक्ति की तलाश में फलदायी होता है। 

    दसवे अध्याय का पाठ भी गुम हुए व्यक्ति की तलाश के लिए किया जाता है।

    ग्यारहवें अध्याय का पाठ कारोबार में वृद्धि के लिए किया जाता है। 

    बारहवें अध्याय का दुर्गा सप्‍तशती का पाठ धन लाभ और मान सम्मान की प्राप्ति के लिए किया जाता है। तेरहवे अध्याय का पाठ अध्यात्म में सिद्धि प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

    •नवरात्रि में राशि के अनुसार मंत्र जपने से मां शारदा सुख, संपत्ति, विद्या, बुद्धि, यश, कीर्ति, पराक्रम, प्रतिभा और विलक्षण वाणी का आशीष प्रदान करती है। इन सबकी प्राप्ति के लिए राशि अनुसार मंत्र का जाप करना चाहिए, तो आइए जानते हैं राशि के अनुसार सरस्वती मंत्र.

    3. दुर्गा सप्तशती | देवी चरित्रों के पाठ का महत्व 

     माँ दुर्गा ने स्वयं दुर्गा सप्तशती के बारहवे मैं इस पाठ का लाभ बताया है। तीन नेत्रोंवाली दुर्गादेवीका ध्यान करता हूँ , उनके श्रीअंगोंकी प्रभा बिजलीके समान है । वे सिंहके कंधेपर बैठी हुई भयंकर प्रतीत होती हैं । हाथोंमें तलवार और ढाल लिये अनेक कन्याएँ उनकी सेवामें खड़ी हैं । वे अपने हाथोंमें चक्र , गदा , तलवार , ढाल , बाण , धनुष , पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किये हुए हैं ।उनका स्वरूप अग्निमय है तथा वे माथेपर चन्द्रमाका मुकुट धारण करती हैं।

     देवी बोलीं -॥१ ॥ देवताओ ! जो एकाग्रचित्त होकर प्रतिदिन इन स्तुतियोंसे मेरा स्मरण करेगा , उसकी सारी बाधा मैं निश्चय ही दूर कर दूंगी ॥२ ॥

    जो मधुकैटभका नाश , महिषासुरका वध तथा शुम्भ - निशुम्भके संहारके प्रसंगका पाठ करेंगे ॥ ३ ॥ तथा अष्टमी , चतुर्दशी और नवमीको भी जो एकाग्रचित्त हो भक्तिपूर्वक मेरे उत्तम माहात्म्यका श्रवण करेंगे ॥ ४॥ उन्हें कोई पाप नहीं छू सकेगा । उनपर पापजनित आपत्तियाँ भी नहीं आयेंगी । उनके घरमें कभी दरिद्रता नहीं होगी तथा उनको कभी प्रेमीजनोंके विछोहका कष्ट भी नहीं भोगना पड़ेगा ॥ ५॥ 

    इतना ही नहीं , उन्हें शत्रुसे , लुटेरोंसे , राजासे , शस्त्रसे , अग्निसे तथा जलकी राशिसे भी कभी भय नहीं होगा ॥६ ॥ 

    इसलिये सबको एकाग्रचित्त होकर भक्तिपूर्वक मेरे इस माहात्म्यको सदा पढ़ना और सुनना चाहिये । यह परम कल्याणकारक है ॥७ ॥

     मेरा माहात्म्य महामारीजनित समस्त उपद्रवों तथा आध्यात्मिक आदि तीनों प्रकारके उत्पातोंको शान्त करनेवाला है ॥८ ॥

    दुर्गा सप्तशती  | Durga Saptshati Path in Hindi

    मेरे जिस मन्दिरमें प्रतिदिन विधिपूर्वक मेरे इस माहात्म्यका पाठ किया जाता है , उस स्थानको मैं कभी नहीं छोड़ती । वहाँ सदा ही मेरा सन्निधान बना रहता है ॥ ९ ॥ बलिदान , पूजा , होम तथा महोत्सवके अवसरोंपर मेरे इस चरित्रका पूरा पूरा पाठ और श्रवण करना चाहिये ॥१० ॥ 

    ऐसा करनेपर मनुष्य विधिको जानकर या बिना जाने भी मेरे लिये जो बलि , पूजा या होम आदि करेगा , उसे मैं बड़ी प्रसन्नताके साथ ग्रहण करूँगी ॥११ ॥ शरत्कालमें जो वार्षिक महापूजा की जाती है , उस अवसर पर जो मेरे इस माहात्म्यको भक्तिपूर्वक सुनेगा , ' वह मनुष्य मेरे प्रसादसे सब बाधाओंसे मुक्त तथा धन , धान्य एवं पुत्रसे सम्पन्न होगा- इसमें तनिक भी संदेह नहीं है ॥ १२-१३ ॥ मेरे इस माहात्म्य , मेरे प्रादुर्भावकी सुन्दर कथाएँ तथा युद्ध में किये हुए मेरे पराक्रम सुननेसे मनुष्य निर्भय हो जाता है ॥१४ ॥

    मेरे माहात्म्यका श्रवण करनेवाले पुरुषोंके शत्रु नष्ट हो जाते हैं , उन्हें कल्याणकी प्राप्ति होती तथा उनका कुल आनन्दित रहता है ॥ १५ ॥ सर्वत्र शान्ति - कर्ममें , बुरे स्वप्न दिखायी देनेपर तथा ग्रहजनित भयंकर पीड़ा उपस्थित होनेपर मेरा माहात्म्य श्रवण करना चाहिये ॥ १६॥ इससे सब विघ्न तथा भयंकर ग्रह - पीड़ाएँ शान्त हो जाती हैं और मनुष्योंद्वारा देखा हुआ दुःस्वप्न शुभ स्वप्नमें परिवर्तित हो जाता है ॥ १७॥ 

    Durga Saptshati in Hindi


    बालग्रहोंसे आक्रान्त हुए बालकोंके लिये यह माहात्म्य शान्तिकारक है तथा मनुष्योंके संगठनमें फूट होनेपर यह अच्छी प्रकार मित्रता करानेवाला होता है ॥ १८॥ यह माहात्म्य समस्त दुराचारियोंके बलका नाश करानेवाला है । इसके पाठमात्रसे राक्षसों , भूतों और पिशाचोंका नाश हो जाता है ॥ १ ९ ॥ 

    मेरा यह सब माहात्म्य मेरे सामीप्यकी प्राप्ति करानेवाला है । पशु , पुष्प , अर्घ्य , धूप , दीप , गन्ध आदि उत्तम सामग्रियोंद्वारा पूजन करनेसे ,ब्राह्मणोंको भोजन करानेसे , होम करनेसे , प्रतिदिन अभिषेक करनेसे , नाना प्रकारके अन्य भोगोंका अर्पण करनेसे तथा दान देने आदिसे एक वर्षतक जो मेरी आराधना की जाती है और उससे मुझे जितनी प्रसन्नता होती है , उतनी प्रसन्नता मेरे इस उत्तम चरित्रका एक बार श्रवण करने मात्र से हो जाती है । यह माहात्म्य श्रवण करनेपर पापों को हर लेता और आरोग्य प्रदान करता है ॥ २०-२२ ॥ मेरे प्रादुर्भावका कीर्तन समस्त भूतोंसे रक्षा करता है तथा मेरा युद्धविषयक चरित्र दुष्ट दैत्योंका संहार करनेवाला है ॥ २३ ॥ 

    इसके श्रवण करनेपर मनुष्योंको शत्रुका भय नहीं रहता । देवताओ ! तुमने और ब्रह्मर्षियोंने जो मेरी स्तुतियाँ की हैं ॥ २४॥ तथा ब्रह्माजीने जो स्तुतियाँ की हैं , वे सभी कल्याणमयी बुद्धि प्रदान करती हैं । वनमें , सूने मार्गमें अथवा दानवा से घिर जानेपर ॥ २५ ॥ निर्जन स्थानमें , लुटेरोंके दावमें पड़ जानेपर या शत्रुओंसे पकड़े जानेपर अथवा जंगलमें सिंह , व्याघ्र या जंगली हाथियोंके पीछा करनेपर ॥ २६ ॥ 

    कुपित राजाके आदेशसे वध या बन्धनके स्थानमें ले जाये जानेपर अथवा महासागरमें नावपर बैठनेके बाद भारी तूफानसे नावके डगमग होनेपर ॥ २७॥ और अत्यन्त भयंकर युद्धमें शस्त्रोंका प्रहार होनेपर अथवा वेदनासे पीड़ित होनेपर , किं बहुना , सभी भयानक बाधाओंके उपस्थित होनेपर ॥ २८ ॥ जो मेरे इस चरित्रका स्मरण करता है , वह मनुष्य संकटसे मुक्त हो जाता है । मेरे प्रभावसे सिंह आदि हिंसक जन्तु नष्ट हो जाते हैं । तथा लुटेरे और शत्रु भी मेरे चरित्रका स्मरण करनेवाले पुरुष से दूर भागते हैं ॥ २ ९ -३० ॥ 

    4. दुर्गा सप्तशती पाठ के लाभ| Benefits of Durga Saptashati 

    रोग नाश के लिए मंत्र:

    रोगानशेषानपहंसि तुष्टा 

    रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।

    त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

    त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

    आरोग्य एवं सौभाग्य का मंत्र:

    देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।

    रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।

    विपत्ति नाश और शुभता के लिए मंत्र:

    करोतु सा न: शुभहेतुरीश्वरी

    शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापद:।

    शक्ति प्राप्ति के लिए मंत्र:

    सृष्टिस्थितिविनाशानां शक्तिभूते सनातनि।

    गुणाश्रये गुणमये नारायणि नमोस्तु ते।।

    अपने कल्याण के लिए मंत्र:

    सर्वमंगलमांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

    शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणि नमोस्तु ते।।

    रक्षा पाने के लिए मंत्र:

    शूलेन पाहि नो देवि पाहि खड्गेन चाम्बिके।

    घण्टास्वनेन न: पाहि चापज्यानि:स्वनेन च।।

    प्रसन्नता के लिए मंत्र:

    प्रणतानां प्रसीद त्वं देवि विश्वार्तिहारिणि।

    त्रैलोक्यवासिनामीड्ये लोकानां वरदा भव।।

    स्वर्ग और मोक्ष के लिए मंत्र:

    सर्वभूता यदा देवी स्वर्गमुक्तिप्रदायिनी।

    त्वं स्तुता स्तुतये का वा भवन्तु परमोक्तय:।।

    यह Durga Saptshati Path अपने प्रत्येक पृष्ठ पर तंत्र सम्मत गुह्य बीज मंत्रों को समेटे है। यह पवित्र ग्रंथ मार्कण्डेय पुराण का एक महत्वूर्ण भाग है। संस्कृत में सप्तशती के पाठ का एक विशेष स्थान है। भगवती का यह सप्तशती ग्रंथ शुद्ध हिंदी में है, इसलिए इसके पाठ में सिर्फ भावना का महत्व है।

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    दुर्गा सप्तशती संपूर्ण पाठ | Durga Saptshati Path in Hindi

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    इस पाठ से, भगवती दुर्गा के चरित्र का पाठ करने से स्फुरित होने वाली भावना फलदायी होगी। Gita insight की टीम ने दुर्गा स्पतशति की फ्री पीडीऍफ़  का लिंक इस पोस्ट में जगह कगह  शेयर किया है। 

    || जय माता दी || 

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