ॐ त्र्यम्बकं मंत्र जिसको महामृत्युंजय मंत्र के नाम से जाना जाता है। यह मंत्र का जाप करने से चिरायु प्रदान होती है। इस महा मंत्र को मृत्यु को जीतने वाला मंत्र कहा जाता है। यह मंत्र भगवान् शिव की स्तुति है और इस मंत्र के माध्यम से उनका आशीर्वाद आप पर बना रहता है । मंदिरों में मंत्रों का जाप सुनकर अधिकांश भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। मंत्र सर्वोच्च भगवान की पूजा करने की वैदिक प्रणाली का एक अनिवार्य हिस्सा हैं।महामृत्युंजय मंत्र सबसे पुराने वैदिक साहित्य, ऋग्वेद (7.59.12) में पाया जाता है। इस मंत्र को आम तौर पर महामृत्युंजय मंत्र के रूप में पढ़ा जाता है क्योंकि दोनों लगभग एक ही हैं।
1.Om Trayambakam in Hindi | महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
2.महामृत्युंजय मंत्र का हिंदी में अर्थ |Om Trayambakam Meaning
हम त्रिनेत्र को पूजते हैं जो सुगंधित हैं, हमारा पोषण करते हैं,जिस तरह (फल) ककड़ी, शाखा के बंधन से मुक्त हो जाता है,वैसे ही हम भी मृत्यु और नश्वरता से मुक्त हो जाएं और कि मोक्ष की प्राप्ति हो जाए।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
•त्र्यंबकम् – तीन नेत्रों वाले
•यजामहे – जिनका हम हृदय से सम्मान करते हैं और पूजते हैं
•सुगंधिम - जो एक मीठी सुगंध के समान हैं
•पुष्टिः – फलने फूलनेवाली स्थिति
•वर्धनम् – जो पोषण करते हैं, बढ़ने की शक्ति देते हैं
•उर्वारुकम् -ककड़ी
•इव – जैसे, इस तरह
•बंधनात् – बंधनों से मुक्त करनेवाले
•मृत्योः - मृत्यु से
•मुक्षीय - हमें स्वतंत्र करें, मुक्ति दें
•मा - न
•अमृतात् -अमरता, मोक्ष
भगवान शिव के जीवन से सिख
3.महामृत्यंजय मंत्र के रचयिता
जैसे ही मार्कंडेय ऋषि ने शिवलिंग का आलिंगन किया वैसे ही स्वयं भगवान शिव प्रकट हुए और स्थिति को देखते हुए क यमराज से बोले कि मेरी शरण में बैठे भक्त को मृत्युदंड देने का विचार भी आपने कैसे किया? इस पर यमराज बोले- प्रभु मैं क्षमा चाहता हूं। विधाता ने कर्मों के आधार पर मृत्युदंड देने का कार्य मुझे सौंपा है, मैं तो बस अपना दायित्व निभाने आया हूं। इस पर शिव बोले मैंने मैं इस बालक को अमरता का वरदान दिया है। शिव शंभू के मुख से ये वचन सुनकर यमराज ने उन्हें प्रणाम किया और क्षमा मांगकर वहां से चले गए। यह कथा मार्कंडेय पुराण में वर्णित है।महामृत्युंजय मंत्र का अर्थ ही होता है मृत्यु को जितने वाला मंत्र ,तो आप लोग भी इस मंत्र का जाप निष्ठा के साथ करें।
4.महामृत्युंजय मंत्र जप की विधि
महामृत्युंजय मंत्र का जाप आपको सवा लाख बार करना चाहिए। वहीं, भोलेनाथ के लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप 11 लाख बार किया जाता है। सावन माह में इस मंत्र का जाप अत्यंत ही कल्याणकारी माना जाता है। वैसे आप यदि अन्य माह में इस मंत्र का जाप करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन से इसका प्रारंभ कराना चाहिए। इस मंत्र के जाप में रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें। इस बात का ध्यान रखें कि दोपहर 12 बजे के बाद महामृत्युंजय मंत्र का जाप न करें। मंत्र का जाप पूर्ण होने के बाद हवन करन उत्तम माना जाता है।
महामृत्युंजय संकल्प मंत्र
श्री महामृत्युंजय मंत्रस्य अमुक संख्यापरिमितं जपमहंकरिष्ये वा कारयिष्ये।
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भुर्भव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। ऊर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ
महामृत्युंजय के अलग-अलग मंत्र हैं। अपनी सुविधा के अनुसार जो भी मंत्र चाहें चुन लें और नित्य पाठ में या जरूरत के समय प्रयोग में लाएं। मंत्र निम्नलिखित हैं-
साधकों के लिए
तांत्रिक बीजोक्त मंत्र: ॐ भू: भुव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ॥
व्यापारियों, विद्यार्थियों और नौकरीपेशा लोगों के लिए विशेष फलदायी
संजीवनी मंत्र: ॐ ह्रौं जूं स:। ॐ भूर्भव: स्व:। ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्। स्व: भुव: भू: ॐ। स: जूं ह्रौं ॐ।
समस्त गृहस्थों के लिए। विशेषकर रोगों से और कष्टों से मुक्ति के लिए
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।
स्व: भुव: भू: ॐ। स: जूं ह्रौं ॐ॥
रोगों से मुक्ति के लिए बीज मंत्र: रोगों से मुक्ति के लिए यूं तो महामृत्युंजय मंत्र विस्तृत है, लेकिन आप बीज मंत्र के सस्वर जाप से रोगों से मुक्ति पा सकते हैं। इस बीज मंत्र को जितना तेजी से बोलेंगे आपके शरीर में कंपन होगा और यही औषधि रामबाण होगी। जाप के बाद शिर्वंलग पर काले तिल और सरसों का तेल (तीन बूंद) चढ़ाएं।
‘ॐ ह्रौं जूं स:’(तीन माला)
महामृत्युंजय मंत्र का जाप पूर्व दिशा की तरफ मुख करके ही करें। जप कुशा के आसन पर बैठ कर करें। मानसिक जाप करें। एक निश्चित संख्या में जाप करें।
5.महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे | क्यों करते हैं महामृत्युंजय मंत्र का जाप
महामृत्युंजय मंत्र का जाप विशेष परिस्थितियों में ही किया जाता है।
•अकाल मृत्यु, महारोग, धन-हानि, गृह क्लेश, ग्रहबाधा, ग्रहपीड़ा, सजा का भय, प्रॉपर्टी विवाद, समस्त पापों से मुक्ति आदि जैसे स्थितियों में भगवान शिव के महामृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है। इसके चमत्कारिक लाभ देखने को मिलते हैं। इन सभी समस्याओं से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र या लघु मृत्युंजय मंत्र का जाप किया जाता है।
•आरोग्य की प्राप्ति होती है।
•यह मंत्र देश, काल और परिस्थिति के अनुसार हर स्थान पर शुभ फल देता है।
6.महामृत्युंजय मंत्र की विशेषता
इस महामंत्र में 32 शब्द हैं। ‘ॐ’ लगा देने से 33 शब्द हो जाते हैं। इसे ‘त्रयस्त्रिशाक्षरी’ या तैंतीस अक्षरी मंत्र कहते हैं। मुनि वशिष्ठजी ने इन 33 शब्दों के 33 देवता अर्थात् शक्तियां परिभाषित की हैं। इस मंत्र में आठ वसु, 11 रुद्र, 12 आदित्य और एक वषट हैं।
7.महामृत्युंजय मंत्र जाप के फायदे | मंत्र के लाभ
कलियुग में सभी पापों को शिव हरते है। जो मनुष्य नित्य पूजा अर्चना करता है वह भी भगवान् शिव की तरह वंदनीय है।
•महामृत्युंजय मंत्र के महाशिवरात्रि पर अलावा वर्ष भर जपने से अकाल मृत्यु टलती है।
•आरोग्य की प्राप्ति होती है।
•यह मंत्र देश, काल और परिस्थिति के अनुसार हर स्थान पर शुभ फल देता है।
कलौकलिमल ध्वंयस सर्वपाप हरं शिवम्।
येर्चयन्ति नरा नित्यं तेपिवन्द्या यथा शिवम्।।
स्वयं यजनित चद्देव मुत्तेमा स्द्गरात्मवजै:।
मध्यचमा ये भवेद मृत्यैतरधमा साधन क्रिया।।
देव पूजा विहीनो य: स नरा नरकं व्रजेत।
यदा कथंचिद् देवार्चा विधेया श्रध्दायान्वित।।
जन्मचतारात्र्यौ रगोन्मृदत्युतच्चैरव विनाशयेत्।
महाशिवरात्रि पर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने और रुद्राभिषेक का विधान है। ऋग्वेद का प्रसिद्ध और सिद्ध मंत्र है। सहज मंत्र ओम है तो सारी बाधाओं से मुक्ति का महामंत्र महामृत्युंजय मंत्र है।
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