हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics
हनुमान अष्टक (Hanuman Ashtak) भगवान हनुमान को समर्पित एक बहुत ही भक्तिमय भजन है। इसे आप कहीं भी पढ़ सकते हैं। हनुमान अष्टक भगवान् हनुमान जी को उनकी शक्ति याद कराने के लिए सुनाया गया था।
हनुमान अष्टक का पाठ करने से पहले आपको हम यह बता दे कि हनुमान अष्टक क्या है? और हनुमान अष्टक की रचना कैसे हुई? इत्यादि।
आप सभी को पता होगा जब बचपन में हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया गया था और इंद्र की प्रहार द्वारा जब हनुमान जी को क्षति पहुंचाई गई थी। तब सभी देवी देवताओं ने हनुमान जी से क्षमा प्रार्थना कर थे और उन्हें अनेक वरदान दिए।
हनुमान जी, जो बचपन से ही थोड़े नटखट व शरारती थे तब एक ऋषि जो की तपस्या में लीन थे हनुमान जी उन्हें परेशान करने लगे। तब वही ऋषि ने हनुमान जी को यह श्राप दिया गया कि तुम अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हो इसलिए तुम अपनी सारी शक्तियों को भूल जाओगे।
इस श्राप के बाद हनुमान जी ने ,ऋषि से क्षमा याचनाकी उसके बाद ऋषि ने कहा ऋषि ने कहा कि जब कोई भी तुम्हें अपनी शक्तियों को याद दिलाएगा तो तुम्हें फिर से अपनी शक्तियों का स्मरण होगा और तुम उनका उपयोग भी कर पाओगें।
इस प्रकार हनुमान अष्टक में हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया जाता है। जब हनुमान जी अंगद व जामवंत जी के साथ सीता जी की खोज करने गए थे तब जामवंत जी द्वारा भी हनुमान जी को उनकी शक्तियों का स्मरण कराया गया था।
संकट मोचन हनुमान अष्टक का संकल्प के साथ नियमित पाठ करने से भक्तों के सभी संकट का भी निवारण हो जाता है। मान्यता है कि हनुमान जी की कृपा से सभी तरह के संकट पल भर में दूर हो जाते हैं। कोई भी व्यक्ति जब विधि विधान से बजरंगबली की पूजा-अर्चना करता है तो सभी विघ्न-बाधाओं का अंत होता है और मनोवांछित फल प्राप्त करता है । संकटों और कष्टों से मुक्ति के लिए प्रत्यके मंगलवार आपको हनुमान चालीसा एंवम हनुमान अष्टक का पाठ करना चाहिए। यहां हनुमान अष्टक लिरिक्स (Hanuman Ashtak Lyrics ) दी जा रही है, जिसकी मदद से आप इसका पाठ कर सकते हैं।
हनुमान अष्टक | Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics
॥ हनुमानाष्टक ॥
बाल समय रवि भक्षी लियो तब,
तीनहुं लोक भयो अंधियारों ।
ताहि सों त्रास भयो जग को,
यह संकट काहु सों जात न टारो ।
देवन आनि करी बिनती तब,
छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो ।
को नहीं जानत है जग में कपि,
संकटमोचन नाम तिहारो ॥ १ ॥
बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,
जात महाप्रभु पंथ निहारो ।
चौंकि महामुनि साप दियो तब,
चाहिए कौन बिचार बिचारो ।
कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,
सो तुम दास के सोक निवारो ॥ २ ॥
अंगद के संग लेन गए सिय,
खोज कपीस यह बैन उचारो ।
जीवत ना बचिहौ हम सो जु,
बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो ।
हेरी थके तट सिन्धु सबै तब,
लाए सिया-सुधि प्राण उबारो ॥ ३ ॥
रावण त्रास दई सिय को सब,
राक्षसी सों कही सोक निवारो ।
ताहि समय हनुमान महाप्रभु,
जाए महा रजनीचर मारो ।
चाहत सीय असोक सों आगि सु,
दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो ॥ ४ ॥
बान लग्यो उर लछिमन के तब,
प्राण तजे सुत रावन मारो ।
लै गृह बैद्य सुषेन समेत,
तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो ।
आनि सजीवन हाथ दई तब,
लछिमन के तुम प्रान उबारो ॥ ५ ॥
रावन युद्ध अजान कियो तब,
नाग कि फाँस सबै सिर डारो ।
श्रीरघुनाथ समेत सबै दल,
मोह भयो यह संकट भारो I
आनि खगेस तबै हनुमान जु,
बंधन काटि सुत्रास निवारो ॥ ६ ॥
बंधु समेत जबै अहिरावन,
लै रघुनाथ पताल सिधारो ।
देबिहिं पूजि भलि विधि सों बलि,
देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो ।
जाय सहाय भयो तब ही,
अहिरावन सैन्य समेत संहारो ॥ ७ ॥
काज किये बड़ देवन के तुम,
बीर महाप्रभु देखि बिचारो ।
कौन सो संकट मोर गरीब को,
जो तुमसे नहिं जात है टारो ।
बेगि हरो हनुमान महाप्रभु,
जो कछु संकट होय हमारो ॥ ८ ॥
॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे,
अरु धरि लाल लंगूर ।
वज्र देह दानव दलन,
जय जय जय कपि सूर ॥
हनुमान अष्टक के फायदे | Hanuman Ashtak ke faayede
- हनुमान जी के सभी पाठ कष्टों को दूर करने वाले हैं। हनुमान अष्टक का पाठ करने से भी मनुष्य को निम्न लाभ होते हैं।
- इसके पाठ से व्यक्ति के आत्मविश्वास व मनोबल में वृद्धि होती है।
- मनुष्य को विघ्न और संकटों से मुक्ति मिलती है।
- हनुमान अष्टक का पाठ करने से घर में सुख व शांति बनी रहती है।
- मनुष्य के काम हनुमान अष्टक का पाठ करने से बनने लगते हैं।
- घर में सुख और शांति के साथ साथ हनुमान जी कृपा रहती है।
- हनुमान अष्टक का पाठ करने से रचनात्मक शक्ति का विकास होता है।
- संकट मोचन हनुमान अष्टक का नियमित पाठ से ग्रहो की स्थिति का दुष्प्रभाव नहीं होता हैं।
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