Ahoi Ashtami Katha in Hindi
अहोई अष्टमी का व्रत बहुत सारे लोग श्रद्धा के साथ रखते हैं। यह या व्रत संतान की कामना करने वाले दंंपतियों के लिए वरदान के बराबर है। सनातन शास्त्र के अनुसर, अहोई अष्टमी को श्रृद्धापूर्वक धारण करने और विधि अनुसार अहोई माता की पूजा करने से शरीर से स्वस्थ, सुंदर और गुणी संतान की प्राप्ति होती है। अहोई अष्टमी के व्रत में पूजा के साथ, व्रत कथा सुनने का महत्व है। अहोई अष्टमी कथा को सुनने के बाद ही आपका व्रत पूर्ण माना जाता है।
इस बार अहोई अष्टमी का पर्व 24 अक्टूबर 2024, गुरुवार को रखा जा रहा है। इस व्रत कथा के दिन माताएं अपनी संतान के लिए बिना जल के (निर्जला) व्रत रखती हैं और माता अहोई से प्रार्थनी करती हैं कि उनकी संतान के ऊपर किसी भी तरह की समस्या न आएं और वह खुशहाल जीवन जिएं। अहोई अष्टमी कार्तिक मास के दिन विधिवत पूजा करने के साथ-साथ इस कथा का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसा करने से व्रत का फळ पूर्ण मिलता है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उज्जवल भविष्य के लिए व्रत रखती है।
आइए जानते हैं अहोई अष्टमी की व्रत कथा विस्तार से।
Ahoi Ashtami Vrat Katha | अहोई अष्टमी कि कथा
॥ श्री गणेशाय नमः ॥
प्राचीन काल में किसी नगर में एक साहूकार रहता था। उसके सात लड़के थे। दीपावली से पहले साहूकार की स्त्री घर की लीपापोती हेतु मिट्टी लेने खदान में गई और कुदाल से मिट्टी खोदने लगी।
दैवयोग से उसी जगह एक सेह की मांद थी। सहसा उस स्त्री के हाथ से कुदाल बच्चे को लग गई जिससे सेह का बच्चा तत्काल मर गया। अपने हाथ से हुई हत्या को लेकर साहूकार की पत्नी को बहुत दुख हुआ परन्तु अब क्या हो सकता था! वह शोकाकुल पश्चाताप करती हुई अपने घर लौट आई।
कुछ दिनों बाद उसका बेटे का निधन हो गया। फिर अकस्मात् दूसरा, तीसरा और इस प्रकार वर्ष भर में उसके सभी बेटे मर गए। महिला अत्यंत व्यथित रहने लगी। एक दिन उसने अपने आस-पड़ोस की महिलाओं को विलाप करते हुए बताया कि उसने जानबूझ कर कभी कोई पाप नहीं किया। हाँ, एक बार खदान में मिट्टी खोदते हुए अंजाने में उसके हाथों एक सेह के बच्चे की हत्या अवश्य हुई है और तत्पश्चात उसके सातों बेटों की मृत्यु हो गई।
यह सुनकर पास-पड़ोस की वृद्ध औरतों ने साहूकार की पत्नी को दिलासा देते हुए कहा कि यह बात बताकर तुमने जो पश्चाताप किया है उससे तुम्हारा आधा पाप नष्ट हो गया है। तुम उसी अष्टमी को भगवती माता की शरण लेकर सेह और सेह के बच्चों का चित्र बनाकर उनकी अराधना करो और क्षमा-याचना करो। ईश्वर की कृपा से तुम्हारा पाप धुल जाएगा।
साहूकार की पत्नी ने वृद्ध महिलाओं की बात मानकर कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी को उपवास व पूजा-याचना की। वह हर वर्ष नियमित रूप से ऐसा करने लगी। तत्पश्चात् उसे सात पुत्र रत्नों की प्राप्ती हुई। तभी से अहोई व्रत की परम्परा प्रचलित हो गई।
तो इस प्रकार अहोई अष्टमी (Ahoi Ashtami katha)माता की कथा यही समाप्त होती है।
अहोई माता की जय !
कथा के बाद अहोई माता कि आरती जरूर करें।
अहोई माता की आरती | Ahoi Mata Ki Aarti
जय अहोई माता, जय अहोई माता।
तुमको निसदिन ध्यावतहर विष्णु विधाता।।
जय अहोई माता।।
ब्रह्माणी, रुद्राणी, कमलातू ही है जगमाता।
सूर्य-चन्द्रमा ध्यावतनारद ऋषि गाता।।
जय अहोई माता।।
माता रूप निरंजनसुख-सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावतनित मंगल पाता।।
जय अहोई माता।।
तू ही पाताल बसंती,तू ही है शुभदाता।
कर्म-प्रभाव प्रकाशकजगनिधि से त्राता।।
जय अहोई माता।।
जिस घर थारो वासावाहि में गुण आता।
कर न सके सोई कर लेमन नहीं धड़काता।।
जय अहोई माता।।
तुम बिन सुख न होवेन कोई पुत्र पाता।
खान-पान का वैभव तुम बिन नहीं आता।।
जय अहोई माता।।
शुभ गुण सुंदर युक्ताक्षीर निधि जाता।
रतन चतुर्दश तोकू कोई नहीं पाता।।
जय अहोई माता।।
श्री अहोई माँ की आरतीजो कोई गाता।
उर उमंग अति उपजे पाप उतर जाता।।
जय अहोई माता।।
Ahoi Ashtami Puja Vidhi in Hindi | अहोई अष्टमी की पूजन विधि|
- सुबह जल्दी उठना और स्नान से पहले नित्यकर्मों का पालन करना परंपरागत रूप से होता है।
- इसके बाद, देवता को प्रतिष्ठित करने के लिए मिट्टी की मूर्ति बनाई जाती है, जो परंपरागत रूप से गोबर का उपयोग करके या कपड़े पर चित्रित करके बनाई जाती है।
- फिर, माताएं अपने बच्चों के हित के लिए एक निर्जला व्रत रखती हैं। शाम को, प्रदोष काल में, देवता की भक्ति के साथ पूजा की जाती है।
- करवा चौथ के समान, इस दिन भी एक पितश्रावक को पूरा किया जाता है जिसमें फल, फूल और मिठाई की भेंट दी जाती है। तारों की पूजा की जाती है और पितश्रावक से पानी को अर्घ्य के रूप में भेंट दी जाती है। व्रत रात्रि में समाप्त होता है और फिर अहोई माता की व्रत कथा सुनी जाती है।
- इसके बाद ही भोजन और पानी का आनंद लिया जाता है।
अहोई अष्टमी के लाभ | Benefits of Ahoi Ashtami katha
- माताएं अपने बच्चों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह व्रत रखती है
- नवविवाहिताएं संतान सुख प्राप्ति की कामना के साथ यह व्रत करती हैं।
- अहोई अष्टमी के व्रत रखने से ,स्वस्थ, सुंदर और गुणी संतान की प्राप्ति होती है।
- अहोई माता कि कृपा से सभी व्रतियों के संतान सभी प्रकार के परेशानियों से रक्षा करती है।
अहोई माता कौन हैं ?
अहोई माता अनहोनी को होनी में सिद्ध करती है। अहोई का अर्थ होता है "अनहोनी को भी बदल डालना"। इसीलिए अहोई माता की पूजा की जाती है कि जीवन में होने वाली अनहोनी घटनाओं को बदला जा सके। भक्त जन अहोई माता की प्रतिमा गोबर ,कागज या धातु से बनाते हैं। अहोई माता की प्रतिकृति गोबर से घर की दीवार पर बनाई जाती है।अहोई माता का प्रतीक की एक पुतली बनाई जाती है और उनके चारों तरफ उनकी 8 संतानों की आकृतियां बनाई जाती हैं। अहोई अष्टमी के दिन चांदी की अहोई बनाकर उनकी पूजा की जाती है। बहुत सारे लोग अहोई अष्टमी के दिन घर को गोबर से लीपते हैं और कलश स्थापना करते हैं।
अहोई माता की जय !
अहोई अष्टमी कब है ? | Ahoi Ashtami 2024 Date
Ahoi Ashtami Date : 24th October 2024 (Thursday)
Ahoi Ashtami Pooja time : 5:56 PM to 7:10 PM
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तो इस प्रकार अहोई अष्टमी (ahoi ashtami vrat katha) यही समाप्त होती है। आशा करते हैं कि यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। Ahoi Mata कि कृपा आप सब पर बानी रहे।
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