रुद्राक्ष धारण करने के नियम
भगवान शिव के प्रिय रुद्राक्ष का सनातन धर्म में विशेष महत्व है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई थी. मान्यता है कि रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति सकारात्मकता से भर जाता है. ये भी माना जाता है कि अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति के लिए रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं, जिन्हें धारण करने से पहले कुछ बातों की जानकारी होना जरूरी है.
Benefits of wearing Rudraksha | रुद्राक्ष पहनने के लाभ
- मानसिक शांति: रुद्राक्ष का धारण करने से मानसिक तनाव कम होता है और मन की शांति मिलती है।
- रोग निवारण: कुछ मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष का धारण करने से शारीरिक रोगों का उपचार होता है।
- ध्यान और धार्मिक उत्थान: ध्यान और धार्मिक साधना में रुद्राक्ष का उपयोग किया जाता है, जो आत्मिक विकास में सहायक होता है।
- सुरक्षा: कुछ लोग मानते हैं कि रुद्राक्ष का धारण करने से भय, भ्रम और दुश्मनों से सुरक्षा मिलती है।
- धन लाभ: कुछ मान्यताओं के अनुसार, रुद्राक्ष के धारण से धन की प्राप्ति में सहायता मिलती है।
आइये जानते हैं ,रुद्राक्ष धारण करने के नियम
कहते हैं कि रुद्राक्ष को कभी भी काले धागे में धारण नहीं करना चाहिए.
सबसे पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध में रखे। उसके बाद दूध से निकालकर उसे गंगाजल से पवित्र करें। पवित्र करने के बाद 'ऊं नमः शिवाय' मंत्र का भी उच्चारण करने के साथ पूर्व दिशा में मुख करके रुद्राक्ष धारण करें।
रुद्राक्ष को लाल या पीले रंग के धागे धारण करना शुभ माना जाता है.
यह बहुत ही पवित्र माना जाता है, इसलिए ध्यान रखें कि कभी भी इसे अशुद्ध हाथों से न छुएं.
धारण की जाने वाली रुद्राक्ष की माला विषम संख्या में हो इस बात का खास ख्याल रखें.
अगर आप चाहें तो रुद्राक्ष को धागे के अलावा चांदी या फिर सोने में जड़वाकर भी धारण कर सकते हैं.
रुद्राक्ष धारण करने वाले व्यक्ति को हमेशा मांस-मदिरा और नशीली चीजों के सेवन से बचना चाहिए.
तो यह थी रुद्राक्ष के बारे में कुछ जानकारियां।
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