पुखराज पहनने के नियम
"पुखराज पहनने के नियम जान लें, अन्यथा नुकसान हो सकता है। पुखराज, जो बृहस्पति ग्रह से संबंधित है, को पहनने के कई फायदे हैं। पुखराज धारण करने वाले को प्रसिद्धि मिलती है, और उनकी शिक्षा, नौकरी, और करियर में उन्नति होती है। इसके अलावा, पुखराज पहनने से भाग्य में वृद्धि होती है, पितृदोष शांत रहता है, और जातक की आयु बढ़ती है। लेकिन, इसे पहनने के नियमों को अनजान रहने पर नुकसान हो सकता है।"
पुकराज पहनने कि विधि | How to wear Pukhraj
"पुखराज पहनने के नियम के अनुसार, पुखराज का असलीपन की जांच अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसके लिए, पुखराज को चौबीस घंटे तक दूध में रखकर देखें, और यदि उसमें कोई क्षीणता या फीकापन नहीं है, तो वह असली होता है।"
"पुखराज पहनने का सही समय भी अहम है। गुरुवार, पुष्य नक्षत्र, और दूज और एकादशी तिथियों को पुखराज पहनने के लिए उत्तम माना जाता है।"
"लाल किताब के अनुसार, धनु लग्न में गुरु होने पर पुखराज को सिर्फ गले में ही धारण करना चाहिए, हाथों में नहीं।"
"अगर गुरु चौथे, सातवें, या दसवें भाव में है, तो पुखराज को धारण करने के लिए लाल किताब के विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।"
"गुरु ग्रह के निर्बल होने पर पुखराज धारण करने से उसके शक्तिशाली होने से ऋणात्मक प्रभाव समाप्त हो जाता है।"
"ज्योतिष के अनुसार, जन्म पत्रिका की अनदेखी से पुखराज धारण करना भी नुकसानदायक हो सकता है।"
"पुखराज को अकेले ही धारण करना चाहिए, और अन्य रत्नों के साथ मिश्रित नहीं करना चाहिए।"
"2/7/10 लग्न वाले पुखराज न पहनना चाहिए, और जिनकी कुंडली में कर्क राशि पर सूर्य-चंद्र-गुरु हो, उन्हें गुरुवार को पुखराज धारण करना चाहिए।"
"पुखराज पहनने के नियमों का पालन करके, आप इस रत्न के उपयोग के लाभों को उठा सकते हैं और नुकसान से बच सकते हैं।"
पुखराज पहनने के फायदे। Pukhraj stone benefits
पुखराज को पहनने से व्यक्ति को समृद्धि, प्रसिद्धि, और सफलता की प्राप्ति में मदद मिलती है। इसके साथ ही, शिक्षा, नौकरी, और करियर में उन्नति होती है। भाग्य में वृद्धि होती है और पितृदोष शांत रहता है। यह रत्न धारण करने वाले की आयु भी बढ़ती है।
इसके अलावा, पुखराज धारण करने से व्यक्ति को मनोवैज्ञानिक स्थिरता, स्वयं से प्यार, और आत्म-विश्वास में वृद्धि होती है। यह भी किसी को संतान संबंधी समस्याओं से निवृत्ति दिलाता है।
सम्पूर्ण रूप से कहा जा सकता है कि पुखराज को पहनने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में लाभ होता है और वह अपने जीवन में समृद्धि और सफलता की ओर अग्रसर होता है।
खराज के धारण करने के और भी अनेक लाभ होते हैं। यह शारीरिक स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद होता है। इसका धारण करने से रक्तचालन में सुधार होता है, जिससे हृदय और नसों को लाभ मिलता है।
पुखराज के प्रयोग से मानसिक स्थिति में सुधार होता है, तनाव और चिंता कम होती है और ध्यान की क्षमता में वृद्धि होती है।
इसके अतिरिक्त, पुखराज धारण करने से आध्यात्मिक विकास भी होता है। यह व्यक्ति को अपने आत्मा के संपर्क में लाता है और उसे आत्मज्ञान की ओर अग्रसर करता है।
सम्पूर्ण रूप से, पुखराज का प्रयोग करने से व्यक्ति की जीवनशैली में सकारात्मक परिवर्तन आता है और वह अपने स्वप्नों की पूर्ति की ओर अग्रसर होता है।
पीला पुखराज पहनने के फायदे भी एकदम सामान पुखराज के लाभ के बराबर ही होता है।
पुकराज कि पहचान | पुखराज किस रंग का होता है ?
पुखराज को पहचानने के कई तरीके होते हैं। यह रत्न विभिन्न रंगों में पाया जा सकता है, जैसे की पीला, केसरी, नारंगी, सोने का रंग, और सफेद-पीला झांई वाला।
रंग: असली पुखराज का रंग बेहद विविध होता है और इसमें आपको विभिन्न शेड्स देखने को मिलते हैं। यह रंग हल्का पीला, सोने का, या नारंगी हो सकता है।
दिखावट: पुखराज की असलीता की पहचान के लिए आप इसकी दिखावट की जांच कर सकते हैं। असली पुखराज चमकदार, साफ़, और पारदर्शी होता है, जबकि नकली पुखराज में अधिकतर दिखावट धुंधला और कम चमकदार होता है।
दृष्टिगत विशेषताएँ: पुखराज को सामान्य आंखों से भी पहचाना जा सकता है। इसमें विशेषताएँ होती हैं जैसे कि चिकनाहट, चमकदारता, और उसकी पारदर्शिता।
प्रकार: असली पुखराज धातु या पत्थर की तरह स्थिर और भारी होता है, जबकि नकली पुखराज आमतौर पर लचीला और हल्का होता है।
परीक्षण: पुखराज की असलीता को प्रमाणित करने के लिए आप रत्न को चौबीस घंटे तक दूध में भिगोकर रख सकते हैं। असली पुखराज धारित दूध में रंग नहीं होता, जबकि नकली पुखराज धारित दूध को तुरंत रंग देता है।
ये थे कुछ मुख्य तरीके जिनसे आप पुखराज की पहचान कर सकते हैं। लेकिन, सबसे अच्छा होगा कि आप इसे खरीदने से पहले एक प्रमाणित और विश्वसनीय ज्योतिषी या रत्न विशेषज्ञ से सलाह लें।
तो यह थी पुखराज पहनने के नियम और विधि के बारे में कुछ जानकारियां।
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