शिव पंचाक्षर स्तोत्र: आध्यात्मिक शांति का माध्यम
शिव पंचाक्षर स्तोत्र भगवान शिव की महिमा का वर्णन करने वाला एक अत्यंत प्रभावशाली और प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक शांति, सुख, और समृद्धि लाने में सहायक है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का महत्व
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है। यह स्तोत्र न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति का आत्मबल बढ़ता है और उसे आत्मा की शुद्धि का अनुभव होता है। यह आध्यात्मिक विकास का मार्ग प्रशस्त करता है।
शांति और समृद्धि:
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से घर में सुख-शांति बनी रहती है और समृद्धि आती है।
नकारात्मक ऊर्जा से रक्षा:
यह स्तोत्र नकारात्मक शक्तियों और बुरी ऊर्जा को दूर करता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ कैसे करें?
- प्रात:काल स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग के सामने दीपक जलाएं।
- शांत और एकाग्र मन से शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ करें।
- शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के श्लोक इस प्रकार हैं:
शिव पंचाक्षर स्तोत्र लिरिक्स और हिंदी में अर्थ
नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै नकाराय नमः शिवाय
मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चिताय
नन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय ।
मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजिताय
तस्मै मकाराय नमः शिवाय
शिवाय गौरीवदनाब्जबृंदा
सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।
श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय
तस्मै शिकाराय नमः शिवाय
वशिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमूनीन्द्र देवार्चिता शेखराय ।
चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनाय
तस्मै वकाराय नमः शिवाय
यज्ञस्वरूपाय जटाधराय
पिनाकहस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै यकाराय नमः शिवाय
पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसंनिधौ ।
शिवलोकमावाप्नोति शिवेन सह मोदते
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का अर्थ | Meaning of Shiv Panchakshar Stotra
वे जिनके पास साँपों का राजा उनकी माला के रूप में है, और जिनकी तीन आँखें हैं,
जिनके शरीर पर पवित्र राख मली हुई है और जो महान प्रभु है,
वे जो शाश्वत है, जो पूर्ण पवित्र हैं और चारों दिशाओं को
जो अपने वस्त्रों के रूप में धारण करते हैं,
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश "न" द्वारा दर्शाया गया है
वे जिनकी पूजा मंदाकिनी नदी के जल से होती है और चंदन का लेप लगाया जाता है,
वे जो नंदी के और भूतों-पिशाचों के स्वामी हैं, महान भगवान,
वे जो मंदार और कई अन्य फूलों के साथ पूजे जाते हैं,
उस शिव को प्रणाम, जिन्हें शब्दांश "म" द्वारा दर्शाया गया है
वे जो शुभ है और जो नए उगते सूरज की तरह है, जिनसे गौरी का चेहरा खिल उठता है,
वे जो दक्ष के यज्ञ के संहारक हैं,
वे जिनका कंठ नीला है, और जिनके प्रतीक के रूप में बैल है,
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश "शि" द्वारा दर्शाया गया है
वे जो श्रेष्ठ और सबसे सम्मानित संतों - वशिष्ट, अगस्त्य और गौतम, और देवताओं द्वारा भी पूजित है, और जो ब्रह्मांड का मुकुट हैं,
वे जिनकी चंद्रमा, सूर्य और अग्नि तीन आंखें हों,
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश "वा" द्वारा दर्शाया गया है
वे जो यज्ञ (बलिदान) का अवतार है और जिनकी जटाएँ हैं,
जिनके हाथ में त्रिशूल है और जो शाश्वत हैं,
वे जो दिव्य हैं, जो चमकीला हैं, और चारों दिशाएँ जिनके वस्त्र हैं,
उस शिव को नमस्कार, जिन्हें शब्दांश "य" द्वारा दर्शाया गया है
जो शिव के समीप इस पंचाक्षर का पाठ करते हैं,
वे शिव के निवास को प्राप्त करेंगे और आनंद लेंगे।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के लाभ
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है। यह व्यक्ति को उसके पापों से मुक्ति दिलाता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के नियमित पाठ से मानसिक तनाव कम होता है और शरीर में नई ऊर्जा का संचार होता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं और व्यक्ति को हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र का पाठ घर में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और पारिवारिक संबंधों को मजबूत करता है।
अनेक भक्तों ने शिव पंचाक्षर स्तोत्र के पाठ से अपने जीवन में चमत्कारी परिवर्तन अनुभव किया है। यह स्तोत्र व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक, और आध्यात्मिक रूप से सशक्त बनाता है।
शिव पंचाक्षर स्तोत्र एक दिव्य स्तोत्र है, जो भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने का माध्यम है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति लाता है। शिव पंचाक्षर स्तोत्र न केवल एक धार्मिक साधना है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों का समाधान भी है। यदि आप अपने जीवन में शांति और समृद्धि चाहते हैं, तो शिव पंचाक्षर स्तोत्र का नियमित पाठ अवश्य करें।
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